कालसर्प योग पूजा त्र्यंबकेश्वर

by Pandit Satish Guruji

कालसर्प योग पूजा त्र्यंबकेश्वर

कालसर्प योग पूजा त्र्यंबकेश्वर

कालसर्प योग क्या है?

कालसर्प पूजा तब की जाती है जब जातक की जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं | इससे लाख अच्छे कर्मों के बाद भी जातक के जीवन में असफलता और चिंता बनी रहती है | इससे जीवन में नकारात्मक सोच और हीन भावना आ जाती है | इसके लिए एक अच्छा वैदिक उपाय जरूरी है | कालसर्प योग तब उत्पन्न होता है जबकि सारे ग्रह राहु और केतु यानी चंद्रमा के उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव के बीच में आ जाते हैं |

यदि जन्म कुंडली में आधा हिस्सा ग्रहरहित हो तो पूर्ण कालसर्प योग होता है | कालसर्प योग एक भयावह स्थिति है जो किसी के भी जीवन में चिंता ला सकता है | इस योग से पीड़ित व्यक्ति के जीवन में कई पीड़ा और समस्याएं आती हैं | अगर यह दोष अपने चरम दुष्प्रभाव दिखाएं तो जातक की कुंडली में उपस्थित ग्रहों का कोई भी अच्छा प्रभाव जातक के जीवन में नहीं आ सकता है | यह किसी भी बहुत बड़े दुष्प्रभाव से ज्यादा हानिकारक होता है |

यह योग जातक को 55 साल तक या कभी-कभी पूरी उम्र परेशान कर सकता है और यह इस बात पर निर्भर करता है कि कुंडली में ग्रहों का स्थान कैसा है | यह दोष 12 प्रकार का होता है | अनंत कालसर्प योग, कुलिक कालसर्प योग वासुकी काल सर्प योग, शंखपाल कालसर्प योग, पद्म कालसर्प योग, महापदम कालसर्प योग, तक्षक कालसर्प योग, कर्कोटक कालसर्प योग, शंखनाद कालसर्प योग, घातक कालसर्प योग, विषधार कालसर्प योग, शेषनाग कालसर्प योग |

त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प शांति पूजा

कालसर्प योग शांति पूजा वैदिक तरीके से ही की जानी चाहिए, भक्त गोदावरी नदी में डुबकी लगाकर इस अनुष्ठान की शुरुआत करते हैं | जातक अपनी मनोकामनाएं और सपनों को साकार करने के लिए इस पूजा का आयोजन  करते हैं| लेकिन पूजा करने हेतु जातक को सर्वप्रथम शारीरिक शुद्धि करनी चाहिए | जातक द्वारा जाने अनजाने में किए गए पापों का प्रायश्चित आवश्यक होता है | इसके लिए जातक गाय, तिल, घी और ऐसी 10 चीजें दान कर सकता है| वैदिक विधि के द्वारा जातक यह स्वीकार करता है कि उनकी कुंडली पर कालसर्प योग है | इसके पश्चात ही अनुष्ठान शुरू किया जाता है| सर्वप्रथम भगवान गणेश की पूजा की जाती है | कालसर्प दोष पूजा के पश्चात जातक के जीवन में सभी कष्ट और चिंताएं समाप्त होती हैं|

त्र्यंबकेश्वर में काल सर्प पूजा

त्र्यंबकेश्वर त्रयंबक शहर में एक पवित्र हिन्दू मंदिर है| भारतीयों का यह मानना है कि यह काल सर्प पूजा मुख्यत इसी मंदिर में की जाती है | यह पूजा घर परिवार के सदस्यों के साथ अथवा किसी अन्य समूह में की जाती है | पंडित मंत्रो का जाप करता है और भक्त पूजा में विलीन होकर उन मंत्रो में खुद को समाहित होते है |

त्र्यंबकेश्वर में काल सर्प पूजा हेतु मंदिर का प्रांगण प्रातः ५ बजे से रात्रि १० बजे तक खुलता है | पुरुषो को धोती एवं बनियान तथा महिलाओं के लिए साड़ी पहनने की सलाह दी जाती है | काला एवं हरा रंग पहनना इस पूजा में बाधित है एवं भक्त सफ़ेद रंग पहनना पसंद करते है | इस पूजा के लिए टिकट भी लेनी होती है तथा टिकट का दाम पूजा के स्थान पर निर्भर करता है जैसे ऐ सी हाल , प्रागण के अंदर, प्रांगण के बाहर इत्याति |

त्र्यंबकेश्वर में काल सर्प पूजा का तरीका

सर्वप्रथम समस्त पूजा सामग्री एकत्रित की जाती है | भक्तों को बहार से इस पूजा के लिए कोई भी सामग्री नहीं लानी होती है| यह पूजा अनुमानन तीन घंटे में पूरी हो जाती है| भक्त समूह को पूजा से १ घंटे पहले पहुंचना होता है|

काल सर्प पूजा से कई व्याधियों एवं विकारो का निदान होता है | जातक को आर्थिक, शारीरिक एवं मानसिक लाभ प्राप्त होते है|

कृपया ध्यान दें

कालसर्प दोष पूजा राहु और केतु के लिए की जाती हैं|

कालसर्प दोष मुख्य रूप से 12 प्रकार के होते है|

और इसके अलावा कुछ आंशिक काल सर्पयोग भी होते हैं|

लेकिन पूजा सभी दोषों के लिए समान ही होती है|

  • यह पूजा 1 दिन की होती है और इसमें लगभग 3 घंटे लगते हैं|
  • आपको पूजा के मुहूर्त से 1 दिन पहले या उसी दिन 6:00 बजे सुबह तक आना होता है|
  • भक्तों को पूजा शुरू करने से पहले कुशावर्तकुंड  में डुबकी लगानी चाहिए और अपने हाथ पैर धोने चाहिए| इस स्नान के पश्चात उन्हें दोबारा स्नान नहीं करना चाहिए|
  • पूजा के लिए केवल नए कपड़े लाने होंगे| पुरुषों के लिए धोती या पैजामा और महिलाओं के लिए साड़ी या कुर्ती दार पजामा| इस पूजा के लिए काले और नीले रंगो का उपयोग निषिद्ध है|जिन कपड़ों के साथ आप यहां पूजा करेंगे उन्हें पूजा के बाद वही छोड़ देना चाहिए|
  • काल सर्प पूजा के दिन प्याज और लहसुन नहीं खाना चाहिए|
  • पूजा के अगले दिन से आप यह खाने में ले सकते हैं|
  • व्यक्ति को मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन पूजा के दिन सहित 41 दिन तक नहीं करना चाहिए|
  • पूजा के लिए दक्षिणा ₹1500 है और ₹100 पूजा में रखने हेतु और ₹40 बलि प्रथा हेतु  चाहिए| इस दक्षिणा में पूजा की समस्त सामग्री शामिल होती है| आप पूजा के बाद दक्षिणा भी दे सकते हैं|

काल सर्प योग निवारण पंडित

आपको इस पूजा के लिए कम से कम 1 दिन पहले आरक्षण कर लेना चाहिए|

आरक्षण हेतु आपको अपना नाम और टेलीफोन नंबर रजिस्टर करवाना चाहिए|

सभी सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए आरक्षण करना जरूरी है|

यदि इस पूजा के लिए आप एक अच्छे और भरोसेमंद पंडित जी की तलाश कर रहे हैं|

जो आपकी कुंडली का अध्ययन करके आपको इस पूजा के लिए सही मुहूर्त की जानकारी देंगे|

पूजा की तैयारी करने में मदद कर सकते हैं|

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पंडित सतीश गुरूजी +91 9322458539