त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प पूजा
त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प पूजा
त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प पूजा: त्र्यंबकेश्वर, त्र्यंबक शहर में एक प्राचीन हिंदू मंदिर है।
यह भारत के महाराष्ट्र के नासिक जिले में है। यह भगवान शिव का मंदिर है।
यह गोदावरी नदी के तट पर है। यह भारत की सबसे लंबी नदी है।
गोदावरी नदी, हिंदू धर्म के अनुसार एक पवित्र नदी है।
यह ब्रम्हगिरी पर्वत से निकलती है और राजमुंद्री के पास समुद्र से मिलती है।
कालसर्प दोष व्यक्ति की कुंडली में एक विचारशील स्थिति है।
यह व्यक्ति को काफी समस्याओं से प्रभावित करता है।
यह दोष जातक के जीवन में उसके द्वारा पिछले जन्म में किये गए कुछ अनुचित कर्मों के कारण होता है ।
ज्यादातर मामलों में, कालसर्प दोष व्यक्ति को लगभग 50 वर्षों तक प्रभावित कर सकता है।
कुछ मामलों में यह व्यक्ति को पूरे जीवन भी प्रभावित करता है।
यह दोष कुंडली में ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है।
काल सर्प शांति पूजा त्र्यंबकेश्वर पंडित
कालसर्प दोष के दुष्परिणाम उल्लेखनीय हैं। वास्तव में किसी भी कुंडली में कालसर्प योग का होना, बहुत हानिकारक होता है। व्यक्ति खुद को कुंठित महसूस करता है | इसके अलावा, यह व्यक्ति के जीवन में कई वित्तीय समस्यें भी लाता है और ये समस्याएं पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती है । इससे दांपत्य जीवन में भी परेशानियां आती हैं। इसी तरह ऐसे व्यक्तियों को जीवन में अशांति और आध्यात्मिक व्यवधान बने रहते हैं। इस दोष के कारण उनके जीवन में उत्सुकता भी समाप्त हो जाती है ।
कालसर्प दोष के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए कालसर्प पूजा एकमात्र उपाय है। इस दोष के लिए यह पूजा करना आवश्यक है। कालसर्प शांति पूजा के बहुत सारे सकारात्मक प्रभाव हैं। इसके अलावा, यह पूजा कालसर्प दोष के बुरे परिणामों को भी कम करने में मदद कर सकती है। सर्प शांति पूजा करने का सबसे अनुकूल समय वह अमावस्या है जो बुधवार को आती है। कालसर्प दोष को दूर करने के लिए कालसर्प पूजा में बहुत शक्ति होती है। यह पूजा व्यक्ति को संवेदनशील बना सकती है।
कुछ लोगों को सर्प पूजा से बहुत गलत परिणाम भी मिल सकते है। बहुत से झूठे ज्योतिष लोगों की बिना कुंडली देखे या उन्हें फंसा कर यह पूजा विपरीत तरीकों से करते हैं। जबकि इस पूजा को शुरू करने और समाप्त करने के लिए एक विशेष दिन है। व्यक्ति को ज्योतिष के अनुसार दिन तय करना चाहिए ।
त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प पूजा
एक प्राचीन हिंदु मंदिर है त्र्यंबकेश्वर का मंदिर। भारत में लोगों का मानना है कि यह पूजा मुख्य रूप से त्र्यंबकेश्वर में की जाती है। त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प पूजा बहुत ही उचित तरीके से की जाती है। यह पूजा लोगों के समूह के लिए भी की जा सकती है। पंडित जी त्रयंबकेश्वर में कालसर्प पूजा करने में भक्तों का मार्गदर्शन करते है और वह मंत्रों का पाठ भी करते हैं।
किसी भी जातक की कुंडली में कालसर्प योग का होना बहुत खतरनाक हो सकता है।
कालसर्प पूजा के लिए, मंदिर सप्ताह के सभी दिनों में सुबह 5:00 बजे से शाम 10:00 बजे तक खुला रहता है। त्रयंबकेश्वर में कालसर्प पूजा के लिए पुरुषों को धोती और बनियान पहननी चाहिए। साथ ही महिलाओं को साड़ी और चूड़ीदार पायजामा पहनना चाहिए। त्र्यंबकेश्वर में पूजा के लिए काले और हरे रंग की अनुमति नहीं है। लोगों को सफेद रंग के कपडे पहनने चाहिए। लोग त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प पूजा के लिए अपने टिकट के आधार पर पूजा का स्थान तय कर सकते हैं। कालसर्प पूजा के लिए लागत अलग अलग है। कोई व्यक्ति मंदिर के अंदर वाला हॉल या बाहरी हॉल या एसी हॉल चुन सकता है।
कालसर्प पूजा प्रक्रिया
- सबसे पहले, पंडित जी त्रयंबकेश्वर में पूजा के लिए वस्तुओं का आयोजन करते हैं। भक्तों को त्र्यंबकेश्वर पूजा हेतु कोई भी सामग्री ले जाने की आवश्यकता नहीं है। त्र्यंबकेश्वर में पूजा लगभग 2-3 घंटे के लिए होती है। त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प पूजा के लिए व्यक्ति को 1 दिन पहले इस स्थान पर पहुंचना पड़ता है। त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प पूजा की विशिष्ट तिथियां हैं।
- अतः त्र्यंबकेश्वर मंदिर में कालसर्प पूजा करवाने के कई फायदे हैं।
- पूजा के पश्चात व्यक्ति आर्थिक समस्याओं से दूर हो सकता है।
- नियमित बीमारी से छुटकारा पा सकता है ।
- त्र्यंबकेश्वर कलश पूजा व्यक्ति में सकारात्मक सोच का निर्माण भी करती है।
- इससे गर्भावस्था और विवाह में देरी टल सकती है।
- और त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प पूजा करने के लिए लोग हवाई मार्ग, ट्रेन या सड़क मार्ग से इस स्थान पर पहुँच सकते हैं। इस जगह पर जाने का सबसे अच्छा तरीका सड़क मार्ग है। मंदिर जाने के लिए बसों की आवाजाही काफी अच्छी खासी है ।
त्र्यंबकेश्वर में काल सर्प पूजा
त्र्यंबकेश्वर त्रयंबक शहर में एक पवित्र हिन्दू मंदिर है| भारतीयों का यह मानना है कि यह काल सर्प पूजा मुख्यत इसी मंदिर में की जाती है | यह पूजा घर परिवार के सदस्यों के साथ अथवा किसी अन्य समूह में की जाती है | पंडित मंत्रो का जाप करता है और भक्त पूजा में विलीन होकर उन मंत्रो में खुद को समाहित होते है |
त्र्यंबकेश्वर में काल सर्प पूजा हेतु मंदिर का प्रांगण प्रातः ५ बजे से रात्रि १० बजे तक खुलता है | पुरुषो को धोती एवं बनियान तथा महिलाओं के लिए साड़ी पहनने की सलाह दी जाती है | काला एवं हरा रंग पहनना इस पूजा में बाधित है एवं भक्त सफ़ेद रंग पहनना पसंद करते है | इस पूजा के लिए टिकट भी लेनी होती है तथा टिकट का दाम पूजा के स्थान पर निर्भर करता है जैसे ऐ सी हाल , प्रागण के अंदर, प्रांगण के बाहर इत्याति |
त्र्यंबकेश्वर में काल सर्प पूजा का तरीका
सर्वप्रथम समस्त पूजा सामग्री एकत्रित की जाती है | भक्तों को बहार से इस पूजा के लिए कोई भी सामग्री नहीं लानी होती है| यह पूजा अनुमानन तीन घंटे में पूरी हो जाती है| भक्त समूह को पूजा से १ घंटे पहले पहुंचना होता है|
काल सर्प पूजा से कई व्याधियों एवं विकारो का निदान होता है | जातक को आर्थिक, शारीरिक एवं मानसिक लाभ प्राप्त होते है|