कालसर्प योग शांति
कालसर्प योग शांति
क्या है कालसर्प दोष ? कालसर्प दोष को हम इस तरह से समझ सकते हैंकि किसी भी मनुष्य के पूर्व जन्मों में किए गए जघन्य अपराधों के दंड, कुंडली में दोष के रूप में उत्पन्न या परिलक्षित होते हैं।
साधारणतःयह देखा गया है कि किसी मनुष्य की कुंडली में कुछ इस तरह का योग बनता है कि कुंडली के सभी ग्रह राहु एवं केतु के मध्य में आ जाते हैं और राहु एवं केतु के मध्य फंस कर रह जाते हैं ।
राहु एवं केतु अपना विशेष प्रभाव उस व्यक्ति की कुंडली में दिखाते हैं। मुख्यतः यह प्रभाव नकारात्मक होते हैं जिस कारण से उस मनुष्य को अनेकों कष्टों का सामना करना पड़ता है।
यदि विद्यार्थी जीवन में यह योग बनता है तो विद्या अर्जन में अड़चनें आती हैं । किसी न किसी बहाने से उस मनुष्य की पढ़ाई छूट जाती है।
यह योग यदि वैवाहिक जीवन में उत्पन्न होता है तो उस मनुष्य का वैवाहिक जीवन दुःख भरा हो जाता है । उस व्यक्ति को संतान नहीं होती हैं यदि होती भी है तो वह शारीरिक रूप से या मानसिक रूप से विकलांग होती है।
यदि कारोबार की बात की जाए तो ऐसे मनुष्यों को कारोबार में अत्यधिक हानि होती है या इनका व्यापार डूब जाता है। ऐसे व्यक्तियों के जीवन में हमेशा चिड़चिड़ापन एवं तनाव देखने को मिलता है। नौकरी में, प्रमोशन में अड़चनें आती हैं।
अत्यधिक कड़ी मेहनत करने के पश्चात भी इन्हें उसके अनुरूप फल की प्राप्ति नहीं होती है। ऐसे व्यक्तियों को पैतृक संपत्ति का लाभ नहीं होता है, यदि होता भी है तो वह इसे दान कर देते हैं। अच्छे धनी परिवार में होने के बावजूद भी इन्हें धन की कमी हमेशा बनी रहती है।
किसी भी मनुष्य की कुंडली में ग्रहों एवं राशि के आधार पर कालसर्प दोष मुख्यतः 12 प्रकार के होते हैं जो कि निम्न प्रकार से हैं:-
- अनंत कालसर्प योग
- कुलिक कालसर्प योग
- वासुकी कालसर्प योग
- शंखपाल कालसर्प योग
- पद्म कालसर्प योग
- महापदम कालसर्प योग
- तक्षक कालसर्प योग
- कर्कोटक कालसर्प योग
- शंख चूड़ कालसर्प योग
- घातक कालसर्प योग
- विषधार कालसर्प योग
- शेषनाग कालसर्प योग
कैसे जानें कि आपकी कुंडली में भी है यह दोष ?
सामान्यतः हम यह नहीं जान सकते की हमारी कुंडली में यह दोष है कि नहीं। हमारे जीवन में अनेकों उतार-चढ़ाव आते हैं।
हम यह नहीं समझ पाते हैं कि आखिर हमारे साथ ऐसा क्यों हो रहा है? आपके जीवन में सुख आता है लेकिन अधिक समय तक नहीं रह पाता। जीवन में कभी आप आर्थिक रूप से अत्यधिक कमजोर हो जाते हैं।
कभी–कभी आप तनाव महसूस करते हैं तथा मानसिक परेशानियों में जीवन यापन करते हैं। आप यह नहीं समझ पाते हैं कि आखिर आपके साथ ऐसा क्यों हो रहा है? आप इसे ईश्वर की इच्छा मान लेते हैं।
हम मान लेते हैं कि हमारे भाग्य में ही ऐसा लिखा है या हमारे पूर्व जन्म में किए हुए यह किसी पाप का फल है। किंतु यदि आप यह जानना चाहते हैं कि आपकी कुंडली में कालसर्प योग है या नहीं तो आप इसके लिए अपनी कुंडली को किसी ज्योतिष विशेषज्ञ से अवश्य दिखाएं।
ज्योतिष विशेषज्ञ आपकी कुंडली को देख कर उसमें स्थित राहु एवं किस केतु की स्थिति के आधार पर आपको यह बता देंगे कि आपकी कुंडली में यह दोष है कि नहीं।आप अपनी कुंडली का मिलान कालसर्प चार्ट से भी कर सकते है , जिससे आप यह जान सकते हैकि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है कि नहीं।
कालसर्प दोष शांति
तो ऐसी स्थिति में आपको किसी ज्योतिषविशेषज्ञ से सहायता लेने की आवश्यकता है । यदि आपको पता लग चुका है कि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो उसके निवारण हेतु आपको कुछ उपाय करने पड़ेंगे।कालसर्प योग कुंडली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर मुख्यतः 12 प्रकार केहोते हैं किन्तु इन सभी दोषों की पूजा का तरीका एवं उपाय सामान हैं।आइये हम उन उपायों के बारे में बात करते है जिसको करके आप इस दोष से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।
दोस्तों कालसर्प दोष के निवारण के लिए आप शिवलिंग पर कच्चा दूध मिला हुआ जल चढ़ाएं या कच्चा दूध चढ़ाएं ।
ऐसे शिव मंदिर में ताँबे का साँप चढ़ाये जिस पर पहले से कोई साँप ना हो, साँप को कुछ इस तरह से चढ़ाये की वह उस शिवलिंग को आच्छादित करें । इस उपाय से पूर्व ताँबे के साँप की पूजा किसी पंडित से अवश्य कराएं।
कालसर्प योग पूजन विधि
महामृत्युंजय मंत्र का जाप कालसर्प दोष निवारण का बड़ा आसान और प्रभावशाली उपाय है।अतः नित्य महामृत्युंजय जाप करें । जिससे राहु और केतु का प्रभाव भी कम होता है।
कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने का सबसे सरल उपाय यह है कि आप श्रावण मास में प्रतिदिन शिवलिंग पर रुद्राभिषेक कराइए और महामृत्युंजय जप की एक माला अनिवार्य रूप से जाप करें और शिव परिवार की पूजा करें।
प्रतिदिन शिवलिंग पर मिश्री मिला हुआ दूध चढ़ाएंइस से भी कालसर्प दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है ।
कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने के लिए आप एक नारियल का गोला लीजिए और इसमें एक छोटा सा छेद कर दीजिए। इसमें सात प्रकार के अनाज डालकर किसी बहते हुए जल में प्रवाहित कीजिए। एक सर्प आकार अंगूठी विधिवत सिद्ध कर अपनी मध्यमा अंगुली में धारण कीजिए।
नित्य अपने बड़े- बुजुर्गों का आशीर्वाद लीजिए यह भी कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करता है।
एक बड़ा ही आसान उपाय यह है कि पीला कपड़ा लीजिए और इसमें अपनी श्रद्धा अनुसार गेहूं रखकर एक पोटली बना लीजिए और इसे किसी गरीब व्यक्ति को दान कीजिए और उसके तुरंत बाद ही 500 ग्राम धनिया लीजिए और किसी बहती हुई नदी में प्रवाहित कीजिए और यह उपाय प्रतिमाह कीजिए।
नाग पंचमी के दिन किसी ऐसे शिव मंदिर में राहु एवं केतु की शांतिकरवानी चाहिए जो बहती हुई नदी के किनारे बना हुआ हो, ऐसे किसी भी मंदिर में कालसर्प दोष की पूजा हो सकती है।
त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प योग शांति पूजन का विशेष महत्व है।
वैसे तो कालसर्प निवारण हेतु पूजामुख्यतःअमावस को की जा सकती है परंतु यह पूजा सावन के महीने में कभी भी की जा सकती है।
जिस जातक को कालसर्प दोष के कारण बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हो, उसे गोमेद और लहसुनिया की एक सर्प अंगूठी शनिवार को पूजा कर अपनी दाएं हाथ की मध्यमा उंगली में धारण करनी चाहिए।
कालसर्प योग शांति से होनेवाले लाभ
कालसर्प दोष शांति पूजा करने पर आप देखेंगे कि आपके जीवन में जो बाधाएं उत्पन्न हुई थी वह धीरे – धीरे समाप्त होने लगतीहैंव जीवन में निम्न प्रकार के प्रभाव पड़ने लगते हैं ।
- जीवन में एक सकारात्मक सोच आने लगतीहैं ।
- व्यवसाय में उत्पन्न बाधाएं समाप्त हो जातीहैं ।
- नौकरी पेशा व्यक्ति के जीवन में पहले जो अड़चनेंथी वह समाप्त हो जाती हैं।
- आदमी का अपनी इंद्रियों में नियंत्रण आने लगता है जिससे उसकी मानसिक स्थिति सुदृढ़ होती है।
- जीवन में धन का अभाव या धन के लिए संघर्ष समाप्त होनेलगता है ।
- शादी एवं विवाह के विधान बनने लगते हैं एवं उत्पन्न बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।
- संतान प्राप्ति होती है तथा संतानों को होने वाले रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है।
- मान सम्मान में वृद्धि होती है।
- पारिवारिक कलह से छुटकारा मिल जाता है।
- वैवाहिक जीवन उन्नत किस्म का हो जाता हैतथा आपसी सामन्जस्य स्थापित होने लगता है।
- शारीरिक विकलांगता , शारीरिक रोग इत्यादि ठीक हो जाते हैं।
- कालसर्प दोष निवारण के पश्चात अकाल मृत्यु से निजात मिल जातीहै।
कालसर्प योग शांति का आयोजन कैसे करें ?
आप अपनी कुंडली भेज कर एकदम निःशुल्क जानकारी ले सकते है | पंडितजी आपको आपकी सुविधा एवं कुंडली के अनुसार इस पूजा के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे और आपकी राय के अनुसार आपके लिए त्र्यंबकेश्वर मंदिर में इस पूजा की व्यवस्था भी करेंगे |