कालसर्प दोष निवारण विधि
कालसर्प दोष निवारण विधि
कालसर्प दोष निवारण विधि : आइए हम जाने कि कालसर्प दोष आखिर है क्या? जैसा कि आप जानते ही हैं कि प्रत्येक जातक की कुंडली में नवग्रह अलग-अलग स्थानों पर विराजमान होते हैं ।
नवग्रहों में राहु एवं केतु को भी स्थान प्राप्त है अर्थात जातक की कुंडली में राहु एवं केतु भी विराजमान रहते हैं।
कुंडली में जब सूर्य, चंद्रमा, मंगल,बुध, शुक्र, शनि, गुरु यह सभी प्रमुख ग्रह राहु एवं केतु के बीच में आ जाते हैं तो यह उस जातक की कुंडली में एक विशेष प्रभाव डालते हैं।
इस योग कोही कालसर्प योग के नाम से जाना जाता है तथा इससे उत्पन्न दोष को कालसर्प दोष कहते है।
कालसर्प दोष निवारण पूजा
कालसर्प दोष के नाम से कई लोगों में भय बैठा रहता है। लोग समझते हैं कि कालसर्प दोष जिस जातक की कुंडली में होगा उसके जीवन में बहुत सारे कष्ट होंगे। वह हमेशा परेशान रहेगा। जबकि इसके उलट कालसर्प दोष का दूसरा पक्ष भी है कि यदि कालसर्प योग कुंडली में हो तो उस जातक को जीवन में अत्यधिक लाभ प्राप्त होते हैं।
इस योग के कारण वह अपने प्रतिद्वंद्वियों पर विजय प्राप्त करता है तथा जीवन में उन्नति करता है। वेदों के अनुसार राहु का आदि देवता काल और प्रति आदि देवता सर्प है, जबकि केतु का अधि देवता चित्रगुप्त एवं प्रति के आदि देवता भगवान ब्रह्मा जी हैं।
राहु का दाहिना भाग काल एवं बाम भाग सर्प है। इसलिए हमेशा राहु एवं केतु की गति वाममार्गी होती है। यदि हम कालसर्प दोष के प्रभाव को देखें तो यह देखने को मिलता है कि कालसर्प दोष विद्या अध्ययन में रुकावट लाता है।
जिस व्यक्ति का रोजगार या कारोबार अच्छा चल रहा होता है उसकी कुंडली में यदि कालसर्प दोष आता है तो उसे हानि होने लगती है। उसके कारोबार में अड़चनें आने लगती हैं ।
कालसर्प दोष निवारण इन हिंदी
बने बनाए सौदे बिगड़ने लगते हैं, कई जातकों की कुंडली में कालसर्प योग होने के कारण उन्हें संतान प्राप्ति नहीं हो पाती है या उनकी संतानों में विकार उत्पन्न हो जाते हैं।
काल सर्प दोष के कारण जातक के परिवार में अचानक से परिवार के किसी भी सदस्य का स्वास्थ्य बिगड़ने लगता है और यह पता नहीं चलता है कि आखिर इसकी वजह क्या है? कालसर्प दोष यदि किसी जातक की कुंडली में है तो वह किसी धनी कुल में जन्म लेने के पश्चात भी उस जातक को निर्धन बना देता है।
कालसर्प योग निवारण पूजा
यह योग विवाह संबंधी कार्यों में व्यवधान डालता है जिस कारण से जातक का विवाह नहीं हो पाता है। वैवाहिक जीवन यापन करने वाले जातक के वैवाहिक जीवन में कलह भर देता है तथा पारिवारिक सौहार्द को बिगाड़ देता है।
यह माना जाता है कि कालसर्प दोष के कारण जातक के जीवन में अचानक से दुर्घटनाएं होने लगती हैं और शारीरिक विकार उत्पन्न होनेलगते हैं।
अत्यधिक कठिन परिश्रम करने के पश्चात भी इच्छा अनुसार फल प्राप्त नहीं होते हैं। जातक के परिवार के मुखिया को विभिन्न प्रकार के शारीरिक तथा मानसिक रोगों का सामना करना पड़ सकता है।
कालसर्प दोष के निवारण हेतु उपाय:-
कालसर्प दोष निवारण विधि की यदि हम बात करें तो सबसे बेहतरीन उपाय यह है कि विधि– विधान के द्वारा नासिक के त्र्यंबकेश्वर मंदिर में कालसर्प दोष शांति की पूजा की जाए।
कुछ छोटे-छोटे उपाय भी हैं जिन्हें कर कालसर्प दोष से उत्पन्न परेशानियों से कुछ हद तक निजात प्राप्त हो सकती है। जैसे कि जातक, जिसकी कुंडली में यह दोष हो वह प्रतिदिन पीपल या बरगद के पेड़ को पानी दे।
जैसा कि आप जानते ही हैं कि कालसर्प दोष मुख्य रूप से राहु का दोष है जो कि आपके जीवन में अचानक से परेशानियां खड़ी कर देता है। और ऐसी मुसीबतें ले आता है जिनके बारे में आप सोच भी नहीं सकते।
कालसर्प दोष निवारण इन हिंदी
इसलिए जातक को प्रतिदिन राहु एवं केतु की पूजा करनी चाहिए तथा 108 बार राहु एवं केतु के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
कालसर्प योग शांति के लिए भगवान शिव के मंदिर में जाकर शिवलिंग की पूजा अर्चना करनी चाहिए तथा घर पर आकर 21 हजार बार “ओम नमः शिवाय” मंत्र का जाप करना चाहिए।
नमनाग स्त्रोत का पाठ करने से भी कालसर्प दोष के प्रभाव में कमी आती है ।अतः नमनाग स्त्रोत का जाप करना चाहिए।
प्रतिदिन महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करने पर भी इस दोष से शांति प्राप्त होती है। श्रावण मास भगवान शिव का महीना होता है। इस महीने 30 दिनों तक यदि भगवान शिव को पुष्प समर्पित कर जलाभिषेक किया जाए तो कालसर्प दोष से मुक्ति प्राप्त होती है।
क्या त्र्यंबकेश्वर मंदिर में कालसर्प पूजा करवाना ही है सर्वोत्तम उपाय :-
त्र्यंबकेश्वर मंदिर हिंदू धर्म के अनुसार 12 ज्योतिर्लिंगों में से 1 ज्योतिर्लिंग है। जो कि महाराष्ट्र प्रांत के नासिक जिले से 32 किलोमीटर की दूरी पर त्रम्बक शहर में ब्रह्मगिरि पहाड़ी की तलहटी पर गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। मंदिर के अंदर छोटे-छोटेतीन लिंग दिखाई देते हैं जिन्हें त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का अवतार माना गया है। त्रिनेत्र धारी भगवान शिव शंभू के यहां विराजमान होने के कारण इस स्थान को त्रम्बक नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव महामृत्युंजय त्र्यंबकेश्वर की पूजा की जाती है। इसमें मंदिर के अंदर पूजा घर में जातक अपने परिवार के साथ तथा अन्य समूह के साथ पूजा-अर्चना करता है ।जिसमें पंडित मंत्रों का जाप करते हैं और जातक इन मंत्रों में अपने को त्नलीन कर देते हैं। त्र्यंबकेश्वर मंदिर में कालसर्प दोष की शांति पूजा हेतु देश–विदेशों से अनेकों जातक आते हैं। यह माना जाता है कि काल सर्प दोष शांति पूजन हेतु त्र्यंबकेश्वर मंदिर से बेहतर कोई दूसरा स्थान नहीं है।
काल सर्प दोष पूजा हेतु क्या है पहला कदम?
जैसा कि आप जानते ही हैं कि काल सर्प दोष पूजा हेतु त्र्यंबकेश्वर मंदिर सर्वोत्तम स्थान है। आप जानना चाहेंगे कि कालसर्प दोष निवारण विधि हेतु सर्वप्रथम आपको क्या करना चाहिए? जी हां ! हम यह सुझाव देंगे की सर्वप्रथम आप अपनी कुंडली को पंडित जी को भेज कर निशुल्क जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
पंडित जी का परिवार पिछले 120 वर्षों से त्र्यंबकेश्वर में रहता है तथा इस कार्य में इन्हें विशेष अनुभव प्राप्त है। पंडितजी ने अब तक 21000 से भी अधिक कालसर्प शांति पूजाओं का अनुभव प्राप्त किया है। पंडित जी के द्वारा यजमानओं को शत-प्रतिशत संतुष्टि दी गई है।
पंडित जी आपको आपकी कुंडली एवं आप की सुविधा अनुसार इस पूजा के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे |अपनी राय के अनुसार इस पूजा को त्र्यंबकेश्वर मंदिर में संपन्न करने हेतु व्यवस्था भी करेंगे।