कालसर्प दोष के वर्ष
कालसर्प दोष के वर्ष
कालसर्प दोष के वर्ष : कालसर्प दोष ग्रहों की एक ऐसी स्थिति है जिसमें राहु एवं केतु के मध्य में सूर्य मंडल के अन्य ग्रह आ जाते हैं और राहु एवं केतु अपना अत्यधिक प्रभाव दिखाते हैं। जिस कारण से सूर्य मंडल के अन्य ग्रहों के प्रभाव गौण हो जाते हैं। हम इसे इस प्रकार से समझ सकते हैं कि राहु एक सर्प का सिर होता है और केतु पुच्छ और बाकी के सभी ग्रह इस सर्प के पाश में बंध जाते हैं। और यह सर्प इन ग्रहों को अपने पाश में बुरी तरह जकड़ लेता है। अब ग्रह अपना प्रभाव कुंडली में चाहते हुए भी नहीं डाल पाते हैं। क्योंकि राहु एवं केतु ,शनि की भांति अपना प्रभाव एवं दुष्प्रभाव किसी कुंडली में दिखाते हैं। यह काल सर्प दोष १२ राशियों के अनुसार १२ प्रकार के होते हैं।
कालसर्प दोष जिन व्यक्तियों के कुंडली में होता है उन्हें विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है| कालसर्प दोष मुख्यतः जातक की कुंडली में विपरीत प्रभाव डालते हैं। जातक के जीवन में कालसर्प दोष का प्रभाव ४९ सालों तक देखा गया है।कभी-कभी यह जीवन भर भी रहता है।
काल सर्प दोष के वर्ष
यह देखा गया है कि कालसर्प योग से जुड़ा एक तथ्य यह भी है कि यह 33 वर्षों के पश्चात अपना एक विशेष प्रभाव जातक के जीवन में डालता है। हम यह कह सकते हैं कि 33 वर्ष कालसर्प योग की एक महत्वपूर्ण उम्र है। यदि जातक को 33 वर्ष की आयु के पहले यदि वह पीड़ित रहता है या उसे सफलता प्राप्त नहीं होती है तो इस उम्र के बाद अक्सर अप्रत्याशित रूप से सफलता प्राप्त होती है और यदि जातक 33 साल की उम्र के पहले सफलताएं प्राप्त करता है। तो इसके उलट उसके जीवन में प्रगति रुक जाती है, सफलताएं निष्फलता में बदल जाती है, कठिनाइयां आने लगती हैं और हर कार्य में उलझने उत्पन्न होती हैं।
कालसर्प योग वाली कुंडलियों में अनेकों उदाहरण है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश, क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, महात्मा गांधी, नेलसन मंडेला, तथा जवाहरलाल नेहरूआदि कुछ ऐसे ही काल सर्प योग कुंडली के ही उदाहरण है। इनके जीवन में भी कालसर्प योग नेअपना विशेष प्रभाव दिखाया है।हम यह कह सकते हैं कि यदि सभी ग्रह राहु केतु के पाश में हों तो इस दौरान पैदा हुए व्यक्तियों को कुछ विशेष लाभ नहीं मिल पाता है। चूंकि इनके ऊपर राहु एवम केतु की महादशा लगी होती है।यदि इनको उचित उपाय या समाधान किया जाए तो ये जातक को आशीर्वाद देकर उच्च पदों पर आसीन कर देता है।
काल सर्प योग के वर्ष
कई जातक अपनी कुंडली में उत्पन्न कालसर्प दोष का ध्यान नहीं देते हैं या उन्हें इसका ज्ञान नहीं होता है।यह उपेक्षा जातक के जीवन में कई प्रकार के शारीरिक, मानसिक, आर्थिक कष्ट उत्पन्न करती है इसलिए जातक को अपनी कुंडली में उत्पन्न कालसर्प दोष के प्रभावों को पूजा के माध्यम से समाप्त किया जा सकता है।
कालसर्प दोष के वर्ष यदि आप जानना चाहते हैं, यदि आप जानना चाहते हैं कि आपकी कुंडली में कालसर्प योग है या नहीं तो इसके लिए हम कालसर्प दोष के वर्ष 1980 से वर्ष 2000 तक कुछ तिथियों का विवरण वर्षवार आपको प्रस्तुत कर रहे हैं यदि इन तिथियों में आपका जन्म हुआ हो तो आपकी कुंडली में भी काल सर्प दोष हो सकता है।
कालसर्प दोष के वर्ष 1980 से वर्ष 2000 तक तिथियां निम्न प्रकार से है।
वर्ष 1980
15 जनवरी से 25 जनवरी तक
11 अप्रैल से 26 अप्रैल तक
9 मई से 23 मई तक
5 सितंबर से 21 सितंबर तक
3 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक
30 अक्टूबर से 12 दिसंबर तक
24 दिसंबर से 31 दिसंबर तक
वर्ष 1981
1 जनवरी से 8 जनवरी तक
21 जनवरी से 26 जनवरी तक
27 अगस्त से 11 सितंबर तक
23 सितंबर से 9 अक्टूबर तक
20 अक्टूबर से 5 नवंबर तक
17 नवंबर से 2 दिसंबर तक
24 दिसंबर से 22 दिसंबर तक
वर्ष 1982
17 अगस्त से 28 अगस्त तक
12 सितंबर से 26 सितंबर तक
9 अक्टूबर से 22 अक्टूबर तक
6 नवंबर से 20 नवंबर तक
वर्ष 1983
13 जुलाई से 21 जुलाई तक
3 अगस्त से 17 अगस्त तक
1 सितंबर से 14 सितंबर तक
27 सितंबर से 11 अक्टूबर तक
14 अक्टूबर से 7 नवंबर तक
20 नवंबर से 27 नवंबर तक
वर्ष 1985
18 जनवरी से 28 जनवरी तक
12 फरवरी से 26 फरवरी तक
10 मार्च से 25 मार्च तक
6 अप्रैल से 15 अप्रैल तक
8 दिसंबर से 23 दिसंबर तक
वर्ष 1986
5 जनवरी से 19 जनवरी तक
1 फरवरी से 16 फरवरी तक
28 फरवरी से 15 मार्च तक
28 मार्च से 11 अप्रैल तक
18 सितंबर से 20 सितंबर तक
3 अक्टूबर से 17 अक्टूबर तक
26 नवंबर से 11 दिसंबर तक
24 दिसंबर से 31 दिसंबर तक
वर्ष 1987
20 जनवरी से 3 फरवरी तक
17 नवंबर से 1 दिसंबर तक
14 दिसंबर से 28 दिसंबर तक
वर्ष 1988
10 जनवरी से 21 जनवरी तक
वर्ष 1991
12 फरवरी से 27 फरवरी तक
12 मार्च से 26 मार्च तक
8 अप्रैल से 11 अप्रैल तक
वर्ष 1995
1 नवंबर से 7 नवंबर तक
20 नवंबर से 4 दिसंबर तक
16 दिसंबर से 30 दिसंबर तक
वर्ष 1996
12 जनवरी से 26 जनवरी तक
8 फरवरी से 22 फरवरी तक
वर्ष 1997
1 फरवरी से 12 फरवरी तक
24 फरवरी से 11 मार्च तक
24 मार्च से 26 मार्च तक
वर्ष 1998
1 अप्रैल से 9 अप्रैल तक
22 अप्रैल से 6 मई तक
19 मई से 31 मई तक
15 जून से 30 जून तक
13 जुलाई से 27 जुलाई तक
10 अगस्त से 30 अगस्त तक
6 सितंबर से 17 सितंबर तक।
वर्ष 2000
14 फरवरी से 19 फरवरी तक
2 मार्च से 13 मार्च तक
30 मार्च से 13 अप्रैल तक
26 अप्रैल से 11 मई तक
30 मई से 7 जून तक
11 जुलाई से 30 जुलाई तक
कालसर्प योग के वर्ष
यदि आपका जन्म ऊपर दी गई कालसर्प दोष के वर्ष तिथियों में से किसी तिथि परहो तो आपकी कुंडली में कालसर्प योग हो सकता है। इसके लिए आप अपनी कुंडली को पंडित श्री अनुराग जी से संपर्क जांचने के लिए दे सकते हैं। यदि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष हो तो कालसर्प दोष की शांति पूजा हेतु आप कालसर्प दोष शांति पूजा विशेषज्ञ पंडित श्री अनुराग जी से संपर्क कर सकते हैं। पंडित अनुराग जी त्र्यंबकेश्वर में शांति पूजा विधान के लिए व्यवस्था कर सकते हैं। अभी तक पंडित श्री अनुराग जी ने 21 हजार से अधिक काल सर्प पूजा का अनुभव प्राप्त कर जातकों को कालसर्प दोष से मुक्ति दिलाकर शतप्रतिशत समाधान दिया है।
पंडित अनुराग जी को त्र्यंबकेश्वर में होने वाली सभी पूजा विधानों में महारथ प्राप्त है। कालसर्प दोष पूजन की तिथियां हर वर्ष जारी की जाती हैं । जातक अपनी कुंडली के अनुसार अपने पंडित जी से परामर्श कर कालसर्प योग का पूजा का दिन चयन कर सकते हैं।
वर्ष 2024 में त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प पूजन का योग निम्नतिथियों को बनता है।
जनवरी 2024 को योग निम्नतिथियों का बनता है-
1, 2, 3, 6, 7, 8, 11, 13, 14, 15, 17, 19, 20, 21, 27, 28, 29, 30 |
फरवरी माह 2024 में निम्न तिथियों को कालसर्प पूजन का योग बनता है-
1, 2, 3, 5, 6, 7, 9, 12, 13, 14, 16, 19, 20, 21, 24, 26, 27, 28 |
माह मार्च 2024 में निम्न तिथियों को कालसर्प पूजन का योग बनता है-
2, 3, 5, 6, 7, 10, 12, 13, 14, 17, 19, 20, 21, 24, 26, 27, 28, 31 |
अप्रैल 2024 में निम्न तिथियों को कालसर्प पूजन का योग बनता है-
1, 2, 3, 4, 7, 9, 10, 11, 14, 16, 17, 18, 21, 23, 24, 25, 28, 30 |
माह मई 2024 में निम्न तिथियों को कालसर्प पूजन का योग बनता है-
1, 2, 5, 6, 7, 8, 9, 12, 14, 15, 16, 19, 21, 22, 23, 26, 28, 29, 30 |
माह जून 2024 में निम्न तिथियों को कालसर्प पूजन का योग बनता है-
1, 3, 5, 8, 9, 10, 11, 12, 14, 18, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 28, 29, 30 |
माह जुलाई 2024 में निम्न तिथियों को कालसर्प पूजन का योग बनता है-
2, 3, 4, 7, 9, 10, 11, 13, 14, 16, 17, 18, 20, 21, 23, 24, 25, 28, 30, 31 |
माह अगस्त 2024 में कालसर्प पूजन का योग निम्नतिथियों का बनता है-
1, 2 (Special Muhurat – Nagpanchami), 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 19, 20, 21, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 28, 29, 30, 31 |
माह सितंबर 2024 में कालसर्प पूजन का योग निम्नतिथियों का बनता है-
1, 3, 4, 5, 7, 8, 9, 12, 13, 15, 16, 19, 21, 22, 23, 26, 28, 29, 30 |
माह अक्टूबर 2024 में निम्न तिथियों कालसर्प पूजन का योग बनता है—
1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 11, 12, 14, 17, 19, 20, 21, 24, 25, 26, 27, 28, 29, 30, 31|
माह नवंबर 2024 में निम्न तिथियों को कालसर्प पूजन का योग बनता है-
2, 3, 4, 5, 8, 9, 11, 15, 17, 20, 23, 24, 25, 26, 28, 30 |
माह दिसंबर 2024 कालसर्प पूजन का योग निम्नतिथियों का बनता है-
2, 4, 6, 7, 9, 11, 14, 15, 16, 19, 21, 22, 23, 24, 25, 26, 28, 29, 30 |